प्रसिद्ध वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन अपने माता-पिता कि सातवींchild थे, एडिसन बचपन से ही श्रवण-शक्ति से आंशिक रूप से वंचित रहे औरउनको मंद-बुद्धि का माना जाता था इसलिए उन्हें school से पागल कह के निकलदिया गया और इस कारण उनकी school कि शिक्षा बाधित हुई/
पर उनके parents ने उनको support किया और उनकी माता नेंन्सी मेंथ्युएलियट ने अपने son को इतना प्यार और संस्कार दिए जिससे एडिसन मानसिकरूप से अति उन्नत और समृद्ध हो गये/
वैज्ञानिक थॉमस अल्वा एडिसन के लिए कहा जाता है कि वे अत्यंत जुझारूप्रवृति के थे उन्होंने कभी खुद कि शारीरिक कमियों और जीवन कि विपरीतपरिस्थितियों से हार नहीं मानी, और ना ही असफलता मिलने पे कभी रुके हमेशादुबारा प्रयास करते रहे जब तक सफलता नहीं प्राप्त कर ली/
बल्ब का आविष्कार करने से पहले उनके thousand से भी ज्यादाexperiment असफल हुए तब जाकर उनको सफलता मिली,जब उनके आलोचकों ने उनसे पूँछाकि हजारवीं बार में मिली इस सफलता सेआपको कैसा लग रहा है/
थॉमस अल्वा एडिसन ने उत्तर दिया—“ मैंने कभी उन घटनाओं कोअसफलताओं के रूप में स्वीकार ही नहींकिया, बल्कि मैंने उन thousand तरीकों किखोज कि, जिनसे बल्ब नहीं बनाया जासकता था, हमारी जिंदगी कि हर भूल हमारेलिए वरदान बन सकती है, यदी हम उससेकुछ भी सिखाने में सफल होते है,”
दोस्तों हम सभी भी यदी एडिसन कि तरह ही अपने जीवन किप्रतिकूलताओं के प्रति येसी ही positive सोच बनाये रखे तो जीवन स्वर्ग बनजायेगा और हर वो सफलता हम पाएंगे जो हम अपनी life में पाना चाहते है/
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